आब-ए-हिज्र निगाहों से रूख़्सत कब हुआ #ये_एहसास पलकों को जरा सा भी न हुआ काजल को संग अपने वो बहा कर ले गया रूख़्सारों से गुजरा वो इक दाग छोड़ता हुआ जब आंसू की चंद बूँदें मेरे हाथों पर आ गिरी हकीकत में दाख़िल हुआ मैं भ्रम तोड़ता हुआ तब समझ में ये आया मैं ख़्वाबों में खुमार था और गम निगाहों तक पहुँचा दिल चीरता हुआ इतनी भी तवज्ज़ो न दो #मंजिल-ए-प्यार को कि रहगुजर में मिले खुदका वजूद बिखरा हुआ #चौबेजी #चौबेजी #गज़ल #नोजोटो #nojotohindi #nojoto #poem #ghazal