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आब-ए-हिज्र निगाहों से रूख़्सत कब हुआ #ये_एहसास पलक

आब-ए-हिज्र निगाहों से रूख़्सत कब हुआ
#ये_एहसास पलकों को जरा सा भी न हुआ

काजल को संग अपने वो बहा कर ले गया
रूख़्सारों से गुजरा वो इक दाग छोड़ता हुआ

जब आंसू की चंद बूँदें मेरे हाथों पर आ गिरी
हकीकत में दाख़िल हुआ मैं भ्रम तोड़ता हुआ

तब समझ में ये आया मैं ख़्वाबों में खुमार था
और गम निगाहों तक पहुँचा दिल चीरता हुआ

इतनी भी तवज्ज़ो न दो #मंजिल-ए-प्यार को
कि रहगुजर में मिले खुदका वजूद बिखरा हुआ

#चौबेजी #चौबेजी #गज़ल #नोजोटो #nojotohindi #nojoto #poem #ghazal
आब-ए-हिज्र निगाहों से रूख़्सत कब हुआ
#ये_एहसास पलकों को जरा सा भी न हुआ

काजल को संग अपने वो बहा कर ले गया
रूख़्सारों से गुजरा वो इक दाग छोड़ता हुआ

जब आंसू की चंद बूँदें मेरे हाथों पर आ गिरी
हकीकत में दाख़िल हुआ मैं भ्रम तोड़ता हुआ

तब समझ में ये आया मैं ख़्वाबों में खुमार था
और गम निगाहों तक पहुँचा दिल चीरता हुआ

इतनी भी तवज्ज़ो न दो #मंजिल-ए-प्यार को
कि रहगुजर में मिले खुदका वजूद बिखरा हुआ

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