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शर्दी की बारिश, बचकर रहना! ना तू ही भीग, ना मैं भी

शर्दी की बारिश, बचकर रहना!
ना तू ही भीग, ना मैं भीगूँ ।
पर प्रेम की बारिश अमृतसम,
तू भी भीग,मैं भी भीगूँ ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
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