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Meri Mati Mera Desh आँख नम ना कीजिये विश्वास बन ने

Meri Mati Mera Desh आँख नम ना कीजिये विश्वास बन ने दीजिये,
एक नया सूरज उगेगा सांस चलने दीजिये।

रेत हो, पाषाण हो, हो शूल या फिर घाटियां,
आस को हर पल मगर अपने साथ चलने दीजिये।

कुछ प्रतीक्षा तो करें चाह होगी पूरी भी,
बस राह में बिखरे काँटों को चुन ने दीजिये। 

जिंदगी के इस सफर में मिलेंगे राही बहुत,
बस साथ देने वाले को साथ चलने दीजिये।

चाहने वाले यहाँ आप से कैसे मिलें,
बस नैनों को नैनों से दो चार होने दीजिये। 

इस अँधेरे रास्ते पे दीप देगा रौशनी,
बस हाथ में ले हाथ अपने साथ चलने दीजिये।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'







.

©Dr Deepak Kumar Deep #MeriMatiMeraDesh
Meri Mati Mera Desh आँख नम ना कीजिये विश्वास बन ने दीजिये,
एक नया सूरज उगेगा सांस चलने दीजिये।

रेत हो, पाषाण हो, हो शूल या फिर घाटियां,
आस को हर पल मगर अपने साथ चलने दीजिये।

कुछ प्रतीक्षा तो करें चाह होगी पूरी भी,
बस राह में बिखरे काँटों को चुन ने दीजिये। 

जिंदगी के इस सफर में मिलेंगे राही बहुत,
बस साथ देने वाले को साथ चलने दीजिये।

चाहने वाले यहाँ आप से कैसे मिलें,
बस नैनों को नैनों से दो चार होने दीजिये। 

इस अँधेरे रास्ते पे दीप देगा रौशनी,
बस हाथ में ले हाथ अपने साथ चलने दीजिये।

डॉ दीपक कुमार 'दीप'







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©Dr Deepak Kumar Deep #MeriMatiMeraDesh