*आज का दौर* आधुनिकता के इस दौर में, गाली को भी प्रनाम(प्रणाम) समझना पड़ता है शेर की खाल में छुपे भेड़िए को मान(आदरणीय) समझना पड़ता है, जो न हो इंसान कहलाने के भी लायक़ उनको भी इंसान समझना पड़ता है "हिमांश" अब ये जो चल रहा है भीषण पतन का एक युग, न जाने क्यों इसको भी आयुष्मान समझना पड़ता है॥ (हमारी संस्कृति कभी ऐसी न थी-शोचनीय दशा) ©Himanshu Tomar #संस्कृति #शोचनीय_दशा #culture #hinduism #सनातन_धर्म #सनातन #भारत #भारतीय #हिन्दुत्व #Independence2021