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तो बचपन के प्यार की कहानी में आपने पढ़ा कि किस तरह

तो बचपन के प्यार की कहानी में आपने पढ़ा कि किस तरह से आर्यन ने आंचल के परिवार के बारे में पता किया और फिर आगे की कहानी इस तरह से हैं,
की आंचल के पापा एक अच्छी कंपनी में मैनेजर के पोस्ट पर है और आंचल पास के ही डिनोबली इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने जाती है यह सब जानने के बाद आर्यन अब हर रोज अपने घर के सामने आंचल का इंतजार करने लगा और मन ही मन उससे अपने प्यार का इजहार करने के बारे में सोचने लगा लेकिन जब आंचल उसके सामने आती तब आर्यन का दिल जोरो से धड़कने लगता मगर आर्यन अपनी जुबान से कुछ ना कह पाता और आर्यन बस उसे देखता ही रह जाता और मन में सोचता है कि क्या मैं कभी भी उसे अपने दिल का हाल बता पाऊंगा या नहीं एक रोज की बात है आंचल अपने स्कूल जा रही थी तभी आर्यन भी अपने स्कूल के लिए आंचल के पीछे पीछे निकल पड़ा और फिर आर्यन ने गौर किया तो देखा कि आंचल भी उसे अपने तिरछी नजरों से देख रही है तभी आर्यन ने भी अपने हाथ हिला कर हल्के से इशारा किया आंचल ने देखा और धीमे से उसके होठों पर हल्की मुस्कान आ गई और वह अपनी नजरें मिलाकर फिर अपनी नजरें झुका ली और अपने उस स्कूल की ओर जाने लगी लेकिन आर्यन का दिल कहां मानने वाला था वह भी उसे आखिर तक यूं ही निहारता रहा जब तक की वह अपने स्कूल के गेट के अंदर चल ना गई,
बस इसी तरह से कई दिन गुजर गए लेकिन आर्यन के दिल ने एक दिन जवाब दे दिया...

आगे की कहानी जरूर पढ़िएगा बचपन का प्यार पार्ट-3

©Anit kumar #safarnama#कहानी#बचपनकाप्यार पार्ट-2
तो बचपन के प्यार की कहानी में आपने पढ़ा कि किस तरह से आर्यन ने आंचल के परिवार के बारे में पता किया और फिर आगे की कहानी इस तरह से हैं,
की आंचल के पापा एक अच्छी कंपनी में मैनेजर के पोस्ट पर है और आंचल पास के ही डिनोबली इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने जाती है यह सब जानने के बाद आर्यन अब हर रोज अपने घर के सामने आंचल का इंतजार करने लगा और मन ही मन उससे अपने प्यार का इजहार करने के बारे में सोचने लगा लेकिन जब आंचल उसके सामने आती तब आर्यन का दिल जोरो से धड़कने लगता मगर आर्यन अपनी जुबान से कुछ ना कह पाता और आर्यन बस उसे देखता ही रह जाता और मन में सोचता है कि क्या मैं कभी भी उसे अपने दिल का हाल बता पाऊंगा या नहीं एक रोज की बात है आंचल अपने स्कूल जा रही थी तभी आर्यन भी अपने स्कूल के लिए आंचल के पीछे पीछे निकल पड़ा और फिर आर्यन ने गौर किया तो देखा कि आंचल भी उसे अपने तिरछी नजरों से देख रही है तभी आर्यन ने भी अपने हाथ हिला कर हल्के से इशारा किया आंचल ने देखा और धीमे से उसके होठों पर हल्की मुस्कान आ गई और वह अपनी नजरें मिलाकर फिर अपनी नजरें झुका ली और अपने उस स्कूल की ओर जाने लगी लेकिन आर्यन का दिल कहां मानने वाला था वह भी उसे आखिर तक यूं ही निहारता रहा जब तक की वह अपने स्कूल के गेट के अंदर चल ना गई,
बस इसी तरह से कई दिन गुजर गए लेकिन आर्यन के दिल ने एक दिन जवाब दे दिया...

आगे की कहानी जरूर पढ़िएगा बचपन का प्यार पार्ट-3

©Anit kumar #safarnama#कहानी#बचपनकाप्यार पार्ट-2