जब तक आँकोगे कम होना नहीं ये खतम गलन का ये रोग गले हुये पे न हो रहम समूह हो रहा बेरहम रोज एक नया सितम नकल कर कहाँ आ गये हम आधुनिक नहीं पशु बन गये हम वध से हो शायद रोकथाम समाजिक रोग को समाज हीं करे खत्म। # व्यभिचार व्यथा