क्या ही है मुस्कान वो जो और से सीखी लगे। क्या है?जो वाणी किसी को श्रवण में तीखी लगे। मुस्कुराना हो हृदय से,खिलखिलाना भूलिए मत, चाय क्या जो रूप नीकी स्वाद में फीकी लगे।। ✍️जीतेन्द्र✍️ ©Jitendra Singh #NationalChaiDay