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क्या नया दौर इसी को कहते है.... गांव का आंगन छूट ग

क्या नया दौर इसी को कहते है....
गांव का आंगन छूट गया ,शहरों में तो बंद दरवाजे ही दिखते है।
वो शाम सुहानी कहा गई जहां बच्चे खेला करते थे.......
अब तो उजालों में भी उजाले ही दिखते है ।
क्या नया दौर इसी को कहते है.....
एक झोला लेकर school जाया करते थे
अब तो कंधो पर बोझ ही दिखाते है।
घर ओर रिश्ते दोनों है मिट्टी के हुआ करते थे
टूट कर  फिर वापस जुड़ जाया करते थे.....
अब तो हर तरफ कांच ही दिखाई देते है।
क्या नया दौर इसी को कहते है.....

©Mrinal Malviya
  #Nayadour.....

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