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गुजर रही थी राहों से कि नजर एक झुर्रियों भरे चेहरे

गुजर रही थी राहों से कि नजर एक झुर्रियों भरे चेहरे पर गई,
मानो तृष्णा भरे नेत्र किसी के आने की बहुत आस लगाए  है,

मनु मना मम हृदय जाना जब हाल-ए-दिल आत्मा वीभत्स हो  उठी,
कर मिथ्या वचन कुपुत्र ने पिता को भीड़ भरे संसार मे यूँ छोड़ गया।  #हाल_ए_दिल_काव्य_संगीत
👉समय सीमा आज 1:00 Pm से कल 01:00 Pm तक है,प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद comment में time+Done  के साथ अपनी रचना भी लिख दीजिए,ताकि विजेता घोषित करने वक़्त विजेताओं को सूचित करना ना पड़े,, 

🎑काव्य संगीत प्रतियोगिता 13 में आपका स्वागत करता है। आप चार पंक्ति में अपनी सराहनीय श्रेष्ठ उत्कृष्ट अनुपम उत्तम रचना लिखें। #काव्य_संगीत 

 #yqdidi #yqbaba 
👉मौलिक रचना लिखें, वो भी भारतीय भाषा में, और रचना की प्रत्येक पंक्ति में सिर्फ़ 01-12 शब्दों हीं प्रयोग करें।
गुजर रही थी राहों से कि नजर एक झुर्रियों भरे चेहरे पर गई,
मानो तृष्णा भरे नेत्र किसी के आने की बहुत आस लगाए  है,

मनु मना मम हृदय जाना जब हाल-ए-दिल आत्मा वीभत्स हो  उठी,
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