प्यासी नज़रों ने पलटकर जब चाँद देखा...दिलकश था! पर अँधेरा ही अँधेरा था न जाने अमावस थी कि काले बादलों ने घेरा था "अँधेरा इतना भी न था कि वह निगाहें न दिख सकें जो ठहरी रहीं जाने कब तलक" इन्हीं आँखों में जी ख़ुद ठहरकर रह गया शायद यों तो किसी ठौर ये पहले न ठहरा था एक शफ़ चाँदना था एक तरफ़ धूप थी रोशन था मंज़र और दूसरी ज़ानिब अँधेरा घना था चाँद! माज़ी रहा था सदियों के साक़ी सा मौजू था तो बस इतना कि तेरी निगाहों का आसरा भर था #toyou#yqlove#कुछहमकुछतुम#गुफ़्तगू#yqfaith#yqdidi