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पर्यावरण खास *********** पेड़ का दर्द *********** म

पर्यावरण खास
***********
पेड़ का दर्द
***********
मत काटो मुझे अभी तो मैं बच्चा हूँ
आप ही तो मेरे प्रतिपालक हो
कुछ तो रहम करो,
जीने का हक़ हमको दे दो,
अभी उम्र का कच्चा हूँ।
मत काटो मुझे कभी तो मैं बच्चा हूँ।
मत काटो आरी,बांका और कुल्हाड़ी से
मुझे भी तो दर्द होता है।
बहता है लहू मेरा भी
जब वार किसी का होता है।
फल- फूल हरियाली दूंगा।
खुद तपकर धूप में
तुम्हें मैं छाँव दूंगा।
दुःख का साथी मैं बनूँगा।
सब उपकारो का प्रतिफल मैं दूंगा
जैसे तेरा ही बच्चा हूँ।
मत काटो मुझे कभी तो मैं बच्चा हूँ।
क्या मेरे बिन इस जग का ,
कल्याण भला हो सकता है?
क्या मेरे बिन वसुधा का,
श्रृंगार भला हो सकता है?
मेरे बिन इस जग का कल्याण नहीं होगा।
चहुँ दिश न हरियाली होगी,
शीतल धवल समीर नहीं होगा।
न उमडे़ं-घुमड़ेंगे बादल
झम-झम बरसात नहीं होगी।
सुख- दुःख में मैं सबका साथी,पहचानों तो सच्चा हूँ।
मत काटो अभी तो मैं बच्चा हूँ।

स्वरचित.
अमर'अरमान'
बघौली, हरदोई
उत्तर प्रदेश

©Amar'Arman' Hardoi up कविता
#amarsahitya #chitralekha2 #chitralekhaekmuqaddaspremkahani #baghauli #baghauliamar #kavibaghauli #baghauikavi

#Blacktree
पर्यावरण खास
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पेड़ का दर्द
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मत काटो मुझे अभी तो मैं बच्चा हूँ
आप ही तो मेरे प्रतिपालक हो
कुछ तो रहम करो,
जीने का हक़ हमको दे दो,
अभी उम्र का कच्चा हूँ।
मत काटो मुझे कभी तो मैं बच्चा हूँ।
मत काटो आरी,बांका और कुल्हाड़ी से
मुझे भी तो दर्द होता है।
बहता है लहू मेरा भी
जब वार किसी का होता है।
फल- फूल हरियाली दूंगा।
खुद तपकर धूप में
तुम्हें मैं छाँव दूंगा।
दुःख का साथी मैं बनूँगा।
सब उपकारो का प्रतिफल मैं दूंगा
जैसे तेरा ही बच्चा हूँ।
मत काटो मुझे कभी तो मैं बच्चा हूँ।
क्या मेरे बिन इस जग का ,
कल्याण भला हो सकता है?
क्या मेरे बिन वसुधा का,
श्रृंगार भला हो सकता है?
मेरे बिन इस जग का कल्याण नहीं होगा।
चहुँ दिश न हरियाली होगी,
शीतल धवल समीर नहीं होगा।
न उमडे़ं-घुमड़ेंगे बादल
झम-झम बरसात नहीं होगी।
सुख- दुःख में मैं सबका साथी,पहचानों तो सच्चा हूँ।
मत काटो अभी तो मैं बच्चा हूँ।

स्वरचित.
अमर'अरमान'
बघौली, हरदोई
उत्तर प्रदेश

©Amar'Arman' Hardoi up कविता
#amarsahitya #chitralekha2 #chitralekhaekmuqaddaspremkahani #baghauli #baghauliamar #kavibaghauli #baghauikavi

#Blacktree