गमों के इम्तहां तो देखो यारों माँ को खोने का जख्म अभी हरा ही था,कि खुद को भी मिट्टी में लीन कर गया । माँ के बिन जिंदगी थी ही नहीं शायद,कि उस अमर रिश्ते को फिर अमर कर गया ।। हाँ कठपुतलियां हैं हम सब जिंदगी के रंगमंच पर,और जिंदा कर गया तू खुद को लोगो के स्मृति-पटल पर ।। "अलविदा_इरफान खान " #RKpoetry #irrfankhan "A main face of life" #Om_shanti🙏