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आज एक ख्याल दिमाग में आया है ये कैसा नसीब मैने पा

आज एक ख्याल दिमाग में आया है 
ये कैसा नसीब मैने पाया है 
हाँ देखा था उसे अपना बनाने का ख्वाब 
अब उसे किसी ओर का होते देख सोचता हूँ 
उसने अपने बेटी होने का फर्ज निभाया है 

यकीं है मुझे उसने अपनी मेहन्दी मे देखा मेरा चेहरा होगा 
मजबूर थी वो उस पर भी तो रिश्तो का पहरा होगा 
हाँ आज दुखी हूँ मैं 
पर उसने भी तो इस जुदाई का गम उठाया है 
उसने अपने बेटी होने का फर्ज निभाया है 

बेवफा नही समझता आज मैं उसे 
जानता हूँ बहुत प्यार करती है वो मुझे 
पर देखो ज़िन्दगी ने ये कैसा वक्त आज दिखाया है 
आज उसके हाथ मे किसी ओर का हाथ आया है 

रोयी होगी शायद मुझे याद कर-कर के वो 
ओर उन आंसूँओ से उसने अपनी मेहन्दी का रंग ज़माया है 
कायर नही हूँ मैं जानती है वो 
कैसे बताऊ उसे इन आँखो मे मेने अपने दर्द को छूपाया है 
आज गर्व है मुझे मेरी जान पर 
उसने आज अपने बेटी होने का फर्ज निभाया है     - ARMAAN KHAN garv
आज एक ख्याल दिमाग में आया है 
ये कैसा नसीब मैने पाया है 
हाँ देखा था उसे अपना बनाने का ख्वाब 
अब उसे किसी ओर का होते देख सोचता हूँ 
उसने अपने बेटी होने का फर्ज निभाया है 

यकीं है मुझे उसने अपनी मेहन्दी मे देखा मेरा चेहरा होगा 
मजबूर थी वो उस पर भी तो रिश्तो का पहरा होगा 
हाँ आज दुखी हूँ मैं 
पर उसने भी तो इस जुदाई का गम उठाया है 
उसने अपने बेटी होने का फर्ज निभाया है 

बेवफा नही समझता आज मैं उसे 
जानता हूँ बहुत प्यार करती है वो मुझे 
पर देखो ज़िन्दगी ने ये कैसा वक्त आज दिखाया है 
आज उसके हाथ मे किसी ओर का हाथ आया है 

रोयी होगी शायद मुझे याद कर-कर के वो 
ओर उन आंसूँओ से उसने अपनी मेहन्दी का रंग ज़माया है 
कायर नही हूँ मैं जानती है वो 
कैसे बताऊ उसे इन आँखो मे मेने अपने दर्द को छूपाया है 
आज गर्व है मुझे मेरी जान पर 
उसने आज अपने बेटी होने का फर्ज निभाया है     - ARMAAN KHAN garv
armaankhan4885

Armaan Khan

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