जिंदगी
आज फिर से भूली हुई अपनी जिंदगी जीने को जी करता है
बरसों बाद ख्वाहिश किसी ने जगा दी आज जिंदगी जीने को जी करता है
छोड़ दिया था जिस जिंदगी को दूसरों के लिए जहां मुझे सब का ख्याल था किसी को मेरा खयाल ना था
आज उस जिंदगी को अपनाने को जी करता है
ना जाने क्यों अपने सपनों को पंख लगाने को जी करता है
परिंदे की तरह खुले आसमान में उड़ने को जी करता है