रिमझिम बूंदों की रुनझुन में टपटप करते प्रीति नयन में बह कर छू छू जाए अंतस् सावन भादो के गर्जन में ऐसे मेघदूत भेजो प्रियवर बरसे तन-मन मेरे घर आंगन में सुरभित सुमन स्नेह भरे हों खिल जाएं वन उपवन में प्रीति