इन दिनों बागों का बहार हूँ मैं अनेक रंग-रूप में,विचार हूँ मैं चहुँ छोर फूल प्रदर्शन,उद्यान में लाखों में एक मैं भी हूँ,बगान में मात्र प्रतीक्षा प्रेममाली,लेना तोड़ प्रस्तुत हो उसे जो हो साँझ,भोर पूर्ण र्ऋतूकाल सज्जा भरता हूँ मैं तुमपे गुलाब सा सँवरता हूँ। जमीन में रह मैं तुमसे जमींनी इश्क़ करती हूँ। #इश्क़मोगरेसा #मोंगरेसाइश्क़ #मोगरेसाइश्क़मेरा #drsimple #sadagise_mehek_dhaniyaki