जिस्म बेचा, जज़्बात नहीं; ज़िंदा हूं, पर आज़ाद नहीं। वो कमाए पैसा तो पैसा हो गया, हम कमाने निकले तो तमाशा हो गया। जो रात की चांदनी में इश्क़ हमपर लुटाते हैं, सुबह की आफताब में वही आग उगल जाते हैं। हां बेचा हमने जिस्म, हालात कुछ ऐसे थे, खरीदा तो तुमने ही, तुम्हारे जज़्बात कैसे थे? जो बचपन में हमें बेच दिया, यूं दलदल में हमें फेक दिया। फिर लांछन हमपर लगाते हो, और खुद को मर्द बताते हो!! ये कैसी अप्रम माया हैं, जीते जी नर्ख दिखाया है। जिस्म हैं, पर जान नहीं, सूरत भी हैं, पर पहचान नहीं। एक वो जो धोखा दे कर हमबिस्तर होने आते रहे, एक हम जो अपना काम करने पर भी चरित्रहीन कहलाते रहे। याद रखना! जिस दिन जिस्म से परे झूठ नंगा हो जाएगा, उस दिन राह चलता हर एक मर्द चरित्रहीन कहलाएगा।। - शिल्पी रानी चरित्रहीन #Nojoto #prostitution #Spreadlove