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जमीं पर कल रात चाँद उतर आया था, मेरे महबूब

जमीं  पर  कल  रात  चाँद  उतर  आया  था,
मेरे महबूब को, खुद से भी  हसीन  पाया था।

पासबान  बनकर  रहूँगा  तुम्हारा  कहा उसने,
रिवायत थी हया  की, और  वो  घबराया था।

मुख्तलीफ़  नहीं  मैं  तुझसे,  और  तू   मुझसे,
ये कहकर नज़ाकत से उसने उन्हे  मनाया था। 

महबूब ने चाँद से कहा तेरे बिन भी महफूज़ हूँ, 
इतना  ऐतमाद मेरे  इश्क़ ने उसे  दिलाया था।
 इश्क़ पर जिन-जिन को भरोसा है वो महसूस करेंगे और अपना प्यार देंगे.. साधारण लफ़्ज़ों में पेश-ए-खिदमत नया कलाम.. 

जमीं  पर  कल  रात  चाँद  उतर  आया  था,
मेरे महबूब को, खुद से भी  हसीन  पाया था।

#पासबान  बनकर  रहूँगा  तुम्हारा  कहा उसने,
#रिवायत थी हया  की, और  वो  घबराया था।
जमीं  पर  कल  रात  चाँद  उतर  आया  था,
मेरे महबूब को, खुद से भी  हसीन  पाया था।

पासबान  बनकर  रहूँगा  तुम्हारा  कहा उसने,
रिवायत थी हया  की, और  वो  घबराया था।

मुख्तलीफ़  नहीं  मैं  तुझसे,  और  तू   मुझसे,
ये कहकर नज़ाकत से उसने उन्हे  मनाया था। 

महबूब ने चाँद से कहा तेरे बिन भी महफूज़ हूँ, 
इतना  ऐतमाद मेरे  इश्क़ ने उसे  दिलाया था।
 इश्क़ पर जिन-जिन को भरोसा है वो महसूस करेंगे और अपना प्यार देंगे.. साधारण लफ़्ज़ों में पेश-ए-खिदमत नया कलाम.. 

जमीं  पर  कल  रात  चाँद  उतर  आया  था,
मेरे महबूब को, खुद से भी  हसीन  पाया था।

#पासबान  बनकर  रहूँगा  तुम्हारा  कहा उसने,
#रिवायत थी हया  की, और  वो  घबराया था।