ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं_ _वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ_ _लेकिन वक़्त का बहाना बना कर_ _अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता !_ _जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की_ _बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,_ _बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है_ _पर जहाँ से अपने ना दिखे_ _वो ऊंचाई किस काम की!!!_ *GOOD MORNING* @mk #Gud mng