जलती रही शमएँ एक अरसे से यूँ हीं.., सूनी पड़ी उन दिल की चहारदीवारीयों में.., कि इंतजार-ए-शब से जागती हैं.., ये ख़ुश्क सी आखें भी कब से.., शायद अब भी बेनूर सा पड़ा है.., शबिस्तान-ए-दिल-ए-परवाना बरसों तलक से.., #जिन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी .. **शमएँ--candle, lamp **शबिस्तान-ए-दिल-ए-परवाना--space in heart of moth, infatuated lover.. **तलक--till **बेनूर--प्रकाश रहित #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqlove #yq #yqdiary #yqthoughts