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तेरी लगन लगी ऐसी श्याम की मीरा को जैसी, सुधबुध खो

 तेरी लगन लगी ऐसी श्याम की मीरा को जैसी,
सुधबुध खोया मैं अपनी प्राण निष्क्रय हो काया से जैसी..!

थम गई हों साँसे नदियों की प्रवाह रुकी हो जैसी,
पँछी भूल गए हो उड़ना राह भी भूले मुड़ना जैसी..!

भूल बैठा खुद को भी अवस्था मतिभ्रष्ट हो गयी ऐसी,
झुक गया आसमाँ धरती ऊपर उठी हो जैसी..!

महसूस करूँ मृत खुद को प्राण पखेरू उखड़े जैसी,
अगन लगी है अंतरात्मा में भस्म हो न पाए ऐसी..!

त्याग मोह माया सब कुछ अपना नियत स्वच्छ जल जैसी,
परिचित और क्या क्या कराऊँ मैं इच्छाएं बची न पहले जैसी..!

कभी होती थी सब कुछ पा लेने की ख्वाईशें,
और वो भी न जाने कैसी कैसी..!

©SHIVA KANT
  #terilagan