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प्रणय प्राण प्राणिधान हो सिर्फ़ तुम, हृदय हिय के ग्

प्रणय प्राण प्राणिधान हो सिर्फ़ तुम,
हृदय हिय के ग्राणिधान हो सिर्फ़ तुम,

तनु मनु सब मनसब से तुम्हें माना  है,
मेरा गौरवान्वित अभिमान हो सिर्फ तुम,

सुरों के सागर में डूब डूब मैं तब जाता हूँ,
मोद प्रमोद का तरणताल हो सिर्फ तुम,

भाव भव्यता के महलों की सींच तुम बेल,
वो सुगन्धित पलाश पात्र हो सिर्फ़ तुम,

कल्पनाओं से निकाल वास्तविक दर्श किया,
उन अनुभूति का आसमान हो सिर्फ तुम।। ♥️ Challenge-729 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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प्रणय प्राण प्राणिधान हो सिर्फ़ तुम,
हृदय हिय के ग्राणिधान हो सिर्फ़ तुम,

तनु मनु सब मनसब से तुम्हें माना  है,
मेरा गौरवान्वित अभिमान हो सिर्फ तुम,

सुरों के सागर में डूब डूब मैं तब जाता हूँ,
मोद प्रमोद का तरणताल हो सिर्फ तुम,

भाव भव्यता के महलों की सींच तुम बेल,
वो सुगन्धित पलाश पात्र हो सिर्फ़ तुम,

कल्पनाओं से निकाल वास्तविक दर्श किया,
उन अनुभूति का आसमान हो सिर्फ तुम।। ♥️ Challenge-729 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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