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ए बादल इतना बरस के नफ़रतें धुल जाए, इंसानियत तरस ग

ए बादल इतना बरस के नफ़रतें धुल जाए,
इंसानियत तरस गयी है मुहब्बत के सैलाब को।
 आज कल तो मोहब्बत का नाम भी,
 इस्तेमाल होने लगा है दिल के बाजार में।।

#_R.S.@khil.. #LostInCrowd
ए बादल इतना बरस के नफ़रतें धुल जाए,
इंसानियत तरस गयी है मुहब्बत के सैलाब को।
 आज कल तो मोहब्बत का नाम भी,
 इस्तेमाल होने लगा है दिल के बाजार में।।

#_R.S.@khil.. #LostInCrowd