White तू छोड़ गई थी उस... अनजान शख़्स के लिए... अब तू ही लुटना चाहता है,उसी अनजान शख़्स की वजह से... जिसे चाँद समझा था तूने,वो धुंधला सा साया निकला... जिसके वादों पे इतराती थी,वो तेरी ही परछाईं निकला... तेरे अश्कों की कीमत उसने,एक हँसी में उड़ा दी थी... जिस राह पे तेरा घर था,वहीं आग लगा दी थी... अब लौटकर आई है,खुद को समेटने की ख़ातिर... पर जो टूटा था तेरा दिल,वो जुड़ता नहीं है आखिर... वो लफ्ज़ जो तूने कहे थे,अब भी सीने में चुभते हैं... तेरी बेवफाई के ज़ख्म,हर रोज़ नए दर्द लिखते हैं... ख़्वाब जो संजोए थे मैंने,वो राख बनकर उड़ गए... तेरी मोहब्बत के मौसम,बस पतझड़ बनकर रह गए... अब शिकवा नहीं,न गिला कोई,बस सब्र की राह पकड़ी है... जो रोशनी बुझी थी दिल में,वो अब अंधेरों से गहरी है... ©Naveen Dutt "बेवफ़ाई की राख में जलते ख़्वाब"