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क्या गजब का हुनर पाल बैठे थे, सबको समझाकर खुद टूट

क्या गजब का हुनर पाल बैठे थे,
सबको समझाकर खुद टूट बैठे थे,
इश्क मुकम्मल होता नही जहां में,
जानकर भी जिन्दगी से रूठ बैठे थे,
जरा सा खयाल उसने जो रखा मेरा,
हम उसे अपना ही समझ बैठे थे,
हर कदम पर पाबंदी सी थी,
इसलिए वो हमें ही छोड़ बैठे थे,
अब सहारा एक तेरा ही रह गया था,
तेरे जाने के बाद ऐ जिन्दगी,
हम मौत की चादर ओढ़ बैठे थे....! मौत की चादर .............!
क्या गजब का हुनर पाल बैठे थे,
सबको समझाकर खुद टूट बैठे थे,
इश्क मुकम्मल होता नही जहां में,
जानकर भी जिन्दगी से रूठ बैठे थे,
जरा सा खयाल उसने जो रखा मेरा,
हम उसे अपना ही समझ बैठे थे,
हर कदम पर पाबंदी सी थी,
इसलिए वो हमें ही छोड़ बैठे थे,
अब सहारा एक तेरा ही रह गया था,
तेरे जाने के बाद ऐ जिन्दगी,
हम मौत की चादर ओढ़ बैठे थे....! मौत की चादर .............!

मौत की चादर .............!