देश को धर्म-मज़हबों में मत बाँटिये , लोगों को इबादत के सलीकों पर मत बाँटिये, हमारा देश है एक किताब की तरह, इसे आप कुछ पन्नों में मत बाँटिये! ©Arunesh Shrivastav myself #poem