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(एक मां की व्यथा) एक मां अपने बच्चों से बात करने

(एक मां की व्यथा)
एक मां अपने बच्चों से 
बात करने के लिए तरसती,
उन्हें बाहों में भरने के ,लिए तरसती माना वह बच्चे हो गए,अब जंवा,व्यस्त है।अपनी दुनिया में,पर वह मां 
चौखट में,आकर उनकी राह तकती,
 पूरा दिन मेहनत कर, बड़े प्यार से खाना बनाती,बच्चे एक निवाला खा,जवानी के जोश में निकल जाते ,वह मां अपने बच्चे को वात्सल्य को तरसती, बचपन में जो उनकी नरम गालों को चुम्मा करती थी। उनकी बिखरे बालों को संवारा करती थी। अपने हाथों से उनको खाना खिलाती थी। आज वह बच्चे बड़े हो गए,अपनी दुनिया में व्यस्त हो गए, एक माँ रह गई अकेली, अधूरी सी, जिसका जीवन शुरू हुआ था। एक कुमारी लड़की से ,शादी के बाद निछावर समर्पित पति के लिए, फिर जीवन की डोर मिली,ममतामई रूप में,बच्चे की बागडोर मिली, बच्चों को बड़ा करते करते खुद जीना भूल गई, उन से भावनाओं को जोड़ दिया। सब कुछ उनकी ओर मोड़ दिया।आज वह बच्चे बड़े हो गए, मां से दूर हो गए, वह मां तरसती निगाहों से, मार्मिक संदेश कृपया जरूर पढ़ें (एक मां की व्यथा)
एक मां अपने बच्चों से 
बात करने के लिए तरसती,
उन्हें बाहों में भरने के ,लिए तरसती माना वह बच्चे हो गए, अब जंवा, 
व्यस्त है।अपनी दुनिया में, पर वह मां चौखट में, आकर उनकी राह तकती,
 पूरा दिन मेहनत कर, बड़े प्यार से खाना बनाती,बच्चे एक निवाला खा,जवानी के जोश में निकल जाते ,वह मां अपने बच्चे को वात्सल्य को तरसती, बचपन में जो उनकी नरम गालों को चुम्मा करती थी। उनकी बिखरे बालों को संवारा करती थी। अपने हाथों से उनको खाना खिलाती थी। आज वह बच्चे बड़े हो गए,अपनी दुनिया में व्यस्त हो गए, एक माँ रह गई अकेली, अधूरी सी, जिसका जीवन शुरू हुआ था। एक कुमारी लड़की से ,शादी के बाद निछावर समर्पित पति के लिए, फिर जीवन की डोर मिली,ममतामई रूप में,बच्चे की बागडोर मिली, बच्चों को बड़ा करते करते खुद जीना भूल गई, उन से भावनाओं को जोड़ दिया। सब कुछ उनकी ओर मोड़ दिया।आज वह बच्चे बड़े हो गए, मां से दूर हो गए, वह मां तरसती निगाहों से, उन बच्चों की तरफ देखती, कि मेरे पास आएंगे, मेरा हाल पूछेंगे, दो बोल मुझसे प्यार के बोलेंगे,आज के युग में हम मां से दूर, आधुनिक जीवन की,चकाचौंध से रूबरू, हो रहे हैं। मोबाइल को ही सब कुछ, समझ लिया है। यह भी ना सोचा कि आज जो हम देख रहे हैं। चल रहे हैं। बोल रहे हैं। और इस ,आधुनिक युग का लुफ्त,उठा रहे, हैं।वह किस के बलबूते, जिस माँ,ने अपनी जवानी लगा दी, तुम्हें पालने में,
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vandana6771

Vandana

New Creator

मार्मिक संदेश कृपया जरूर पढ़ें (एक मां की व्यथा) एक मां अपने बच्चों से बात करने के लिए तरसती, उन्हें बाहों में भरने के ,लिए तरसती माना वह बच्चे हो गए, अब जंवा, व्यस्त है।अपनी दुनिया में, पर वह मां चौखट में, आकर उनकी राह तकती, पूरा दिन मेहनत कर, बड़े प्यार से खाना बनाती,बच्चे एक निवाला खा,जवानी के जोश में निकल जाते ,वह मां अपने बच्चे को वात्सल्य को तरसती, बचपन में जो उनकी नरम गालों को चुम्मा करती थी। उनकी बिखरे बालों को संवारा करती थी। अपने हाथों से उनको खाना खिलाती थी। आज वह बच्चे बड़े हो गए,अपनी दुनिया में व्यस्त हो गए, एक माँ रह गई अकेली, अधूरी सी, जिसका जीवन शुरू हुआ था। एक कुमारी लड़की से ,शादी के बाद निछावर समर्पित पति के लिए, फिर जीवन की डोर मिली,ममतामई रूप में,बच्चे की बागडोर मिली, बच्चों को बड़ा करते करते खुद जीना भूल गई, उन से भावनाओं को जोड़ दिया। सब कुछ उनकी ओर मोड़ दिया।आज वह बच्चे बड़े हो गए, मां से दूर हो गए, वह मां तरसती निगाहों से, उन बच्चों की तरफ देखती, कि मेरे पास आएंगे, मेरा हाल पूछेंगे, दो बोल मुझसे प्यार के बोलेंगे,आज के युग में हम मां से दूर, आधुनिक जीवन की,चकाचौंध से रूबरू, हो रहे हैं। मोबाइल को ही सब कुछ, समझ लिया है। यह भी ना सोचा कि आज जो हम देख रहे हैं। चल रहे हैं। बोल रहे हैं। और इस ,आधुनिक युग का लुफ्त,उठा रहे, हैं।वह किस के बलबूते, जिस माँ,ने अपनी जवानी लगा दी, तुम्हें पालने में, #yqdidi #yqquotes #Childhood #Motivation #motherlove #yqhindi #MOTHERSLOVE #motherhood