यह कुदरत है कुदरत का कोई नहीं है मोल, उस ईश्वर की हर रचना है बे-मोल। प्रकृति की सरगोशीयों से फूल और तितली से, की है बातें, नेमत -ए-जीस्त है दिए हमें, उस ईश्वर ने। जिस दिन प्रकृति की गोद में वक्त बिताएंगे, उस दिन जश्न-ए-बहारा हर रोज़ पाएंगे। #Contest18 (Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,