बस प्रेम पर विश्वास था, अब वो भी ढल रहा है.. शायद तेरे दिल में, कुछ और चल रहा है... प्रेम ही अपना, आखरी मुकाम होना था.. और किसी भी बात पर, कभी नहीं रोना था... अब यह आखरी ग़म भी,भुलाएगा क्या.. जहां से भी आया है, लौट जाएगा क्या...? 28-06-21 ©Vishal Chavan #Rhetoric