दरिया-ए-जिंदगी की मंजिल मौत है , आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है . ............................................................... बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी , मुक़र्रर वक़्त पर मौजूद मौत है . ................................................................. बेवफा है जिंदगी न करना मौहब्बत , रफ्ता-रफ्ता ज़हर का अंजाम मौत है . ............................................................... महबूबा बावफ़ा है दिल के सदा करीब , बढ़कर गले लगाती मुमताज़ मौत है . ................................................................. महफूज़ नहीं इन्सां पहलू में जिंदगी के , मजरूह करे जिंदगी मरहम मौत है . ................................................................. करती नहीं है मसखरी न करती तअस्सुब, मनमौजी जिंदगी का तकब्बुर मौत है . ................................................................ ताज्जुब है फिर भी इन्सां भागे है इसी से , तकलीफ जिंदगी है आराम मौत है . ................................................................. तक़रीर नहीं सुनती न करती तकाजा , न पड़ती तकल्लुफ में तकदीर मौत है . ..................................................................... तजुर्बे ''शालिनी''के करें उससे तज़किरा , तख्फीफ गम में लाने की तजवीज़ मौत है . ..................................................................... शालिनी कौशिक [कौशल] ©Shalini Kaushik #मौत तकलीफ जिंदगी है, आराम मौत है. #Rose