वैसे मुझे मिलो तुम उदास सर्दियों की,लंबी शाम में अचानक से पुरानी डायरियों के बीच मिल जाती है,बरसों पहले लिखी, कोई कविता जैसे वैसे मुझे मिलो तुम। बरसों बाद किसी अनजान शहर में