निरंकुशता पर अंकुश के सर्वोच्च के पास सीमित है अवसर ! तानाशाही प्रवृत्ति प्रेरित सत्ता, फ़ैसले ही बदल देती है अक्सर !! लोकतन्त्र की पताका फहराने में सर्वोच्च की है अटूट आस्था ! अन्य संवैधानिक संस्थाओं बनिस्पत सर्वोच्च में है जनआस्था !! आज़ादी के चमन में लोकतन्त्र ही शोभायमान हुआ करता है ! तानाशाही में तो आज़ाद वतन गुलामों जैसा ही सिसकता है !! चुनावी चरण शुरू हुआ, वीवीपैट गिनने के फ़ैसले के बगैर ! फांसी सजायाफ्ता हेतु सर्वोच्च सहमति देर रात सुनवाई पर !! यहां एक व्यक्ति की नहीं देश की न्याय अपेक्षा टाली जा रही ! तारीख पे तारीख से जनता जनार्दन की आस्था डगमगा रही !! वीवीपैट का आदेश भी सर्वोच्च ने सालों पहले दिया है ! गिनने में आनाकानी है तो लगाने का औचित्य ही क्या है !! बॉन्ड असंवैधानिक ठहराने पर भी आगे कोई कार्यवाही नहीं ! जुटाई रकम व उससे अर्जित संपत्ति की जब्ती जरूरी ही !! नकली दवाओं के दोषियों को भी सलाखों में भेजना चाहिए ! जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ वालों पर सख्ती ही बरतनी चाहिए !! लगता है देश की जनता को जीना है अब राम भरोसे ही ! आज़ादी के सपने भी छोड़ देने, किसी को भी बिना कोसे ही !! - आवेश हिन्दुस्तानी 19.04.2024 ©Ashok Mangal #AaveshVaani #JanMannKiBaat