Nojoto: Largest Storytelling Platform

कभी बरगद की छाँव तो कभी खुला आसमान होती है, कर द

कभी बरगद की छाँव 
तो कभी खुला आसमान होती है, 
कर देती है सब कुर्बान औलाद पर
एक माँ अपने सुख की खातिर कब कहाँ रोती है , 
जब कुछ हांसिल ना हो मंदिर, मस्ज़िद, गुरुद्वारे में, 
तब आखिरी उम्मीद सिर्फ माँ ही होती है । 

.....Sanjay Kaushik माँ : The Final Destination
#MothersDay
कभी बरगद की छाँव 
तो कभी खुला आसमान होती है, 
कर देती है सब कुर्बान औलाद पर
एक माँ अपने सुख की खातिर कब कहाँ रोती है , 
जब कुछ हांसिल ना हो मंदिर, मस्ज़िद, गुरुद्वारे में, 
तब आखिरी उम्मीद सिर्फ माँ ही होती है । 

.....Sanjay Kaushik माँ : The Final Destination
#MothersDay