कभी बरगद की छाँव तो कभी खुला आसमान होती है, कर देती है सब कुर्बान औलाद पर एक माँ अपने सुख की खातिर कब कहाँ रोती है , जब कुछ हांसिल ना हो मंदिर, मस्ज़िद, गुरुद्वारे में, तब आखिरी उम्मीद सिर्फ माँ ही होती है । .....Sanjay Kaushik माँ : The Final Destination #MothersDay