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मेरी प्रीत वही नन्दनन्दन, हैं, जिन मस्तक मोरमुकुट

मेरी प्रीत वही नन्दनन्दन, हैं,
जिन मस्तक मोरमुकुट सोहे,
अधरों पे सुरीली बंशी स्वर,
जो प्रेम-तरंगित सागर हैं,
मेरे असंख्य जन्मों के, तुम
सारथी! रहे मेरे माधव,
देवकी, यशोदा के तारे,
हे वासुदेव! शत–शत प्रणाम।। श्री.....

©Tara Chandra
  श्रीकृष्ण_स्तुति 2/8
tarachandrakandp6970

Tara Chandra

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श्रीकृष्ण_स्तुति 2/8 #समाज

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