Unsplash हमें यह स्वीकार करना होगा कि गुरु और शिष्य एक दूसरे कि ताकत हैं, और एक दूसरे के बिना अधूरे। जब कहीं कोई प्रशन पूछने वाला नहीं होगा तो उत्तर देने वाले कि भी महत्वत्ता नहीं होगी। एक के पास जिवन भर का अपना अनुभव हैं, वहीं दूसरे के पास नये युग का अपना नजरिया। दोनों मिलकर हीं एक दूसरे को पूरक बनाते हैं... ©Naveen Mishra #Book