मुझे दरिया की तरह तू बहनें दे, मेरी आंख में आंसू रहने दे, मेरे अंदर से तूफानों को चला, मुझे बाहर से तन्हाई को सिखा, मेरे पांव में कांटे चुभते रहे, मेरे यार के आगे रुकते रहे, मेरे ज़िस्म पे पड़े तलवार कोई, मेरा दर्द ही बन जाए ढाल कोई, मैं आंख में वो सब देख संकु, देखने वाला अजूबा कहे। हिम्मत सिंह writing #thinking #Ludhiana#pau# Gurdaspur# Punjabi poetry #Hindi poetry# Urdu poetry#✍️✍️#####✍️🎶🎶🎶####💘💘💘###💓💓💓###