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कभी बन के माली जीवन की बगिया में, ग़मों को कम खुशि

 कभी बन के माली जीवन की बगिया में,
ग़मों को कम खुशियों को ज्यादा काटते रहना..!

होते हैं कुछ लोग जीवन में ऐसे,
जड़ें काटते जाना और पानी देते रहना..!

हम ही समझते हैं हाल-ऐ-दिल तुम्हारा,
और दूजे से मन ही मन में कुढ़ते रहना..!

तुम्हारा ग़म भी मेरा ग़म है,
जुबाँ पे ऐसा भाषण रखना..!

दिखा अपनापन बन अजीज-ऐ-ख़ास,
चापलूसी से बस मतलब रखना..!

पहन कर छल कपट का चोला,
चेहरे पे अपने यूँ मुखौटे रखना..!

©SHIVA KANT
  #jadkaattna