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कर इबादत तू रब की ज़रा ऐ आदम ज़ात फिर चाहे वो अल्

कर इबादत तू रब की ज़रा ऐ आदम ज़ात

फिर चाहे वो अल्लाह हो या हो भगवान

आपस में कटते हो मरते हो क्या यही है इंसान

कोई कहता है मेरा मंदिर खतरे में

कोई कहता मेरी मसजिद खतरे में

ए भटके हुए शख़्स तेरा ईमान खतरे में है

रख खुदा पर यकीन तू तेरी पहचान बन जाएगी

किया जो तूने उसकी मखलूक को परेशान 

तो सारी दुनिया कब्रिस्तान बन जाएगी

                        -आरिज़ अली तौहीद
कर इबादत तू रब की ज़रा ऐ आदम ज़ात

फिर चाहे वो अल्लाह हो या हो भगवान

आपस में कटते हो मरते हो क्या यही है इंसान

कोई कहता है मेरा मंदिर खतरे में

कोई कहता मेरी मसजिद खतरे में

ए भटके हुए शख़्स तेरा ईमान खतरे में है

रख खुदा पर यकीन तू तेरी पहचान बन जाएगी

किया जो तूने उसकी मखलूक को परेशान 

तो सारी दुनिया कब्रिस्तान बन जाएगी

                        -आरिज़ अली तौहीद