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एक दीवाना था। (पार्ट 4) आप आगे बढ़ो या ना बढ़ो, ज़िन्

एक दीवाना था।
(पार्ट 4) आप आगे बढ़ो या ना बढ़ो, ज़िन्दगी है कि आगे बढ़ती रहती है। हमारे अक्षत की ज़िन्दगी भी चल रही थी। धीरे धीरे वह सदमे से उभर रहा था, दोस्तों के साथ भी फिर से घुलने-मिलने लगा था। एक मुहब्बत की बातें उसका मूड खराब कर देती थी। उसने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाये पर फिर कभी वह प्यार नहीं करेगा। और करता भी क्यों!? जब भी तनूजा का ख्याल आ जाता, दिल में एक टीस उठती।
एक दिन सब यार-दोस्त इक्ट्ठे बैठे हुये थे। हँसी-मज़ाक का दौर चल रहा था। अक्षत भी हल्का सा कभी कभी मुस्कुरा देता था। किसी ने पूछ ही लिया अक्षत को…
“आज
एक दीवाना था।
(पार्ट 4) आप आगे बढ़ो या ना बढ़ो, ज़िन्दगी है कि आगे बढ़ती रहती है। हमारे अक्षत की ज़िन्दगी भी चल रही थी। धीरे धीरे वह सदमे से उभर रहा था, दोस्तों के साथ भी फिर से घुलने-मिलने लगा था। एक मुहब्बत की बातें उसका मूड खराब कर देती थी। उसने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाये पर फिर कभी वह प्यार नहीं करेगा। और करता भी क्यों!? जब भी तनूजा का ख्याल आ जाता, दिल में एक टीस उठती।
एक दिन सब यार-दोस्त इक्ट्ठे बैठे हुये थे। हँसी-मज़ाक का दौर चल रहा था। अक्षत भी हल्का सा कभी कभी मुस्कुरा देता था। किसी ने पूछ ही लिया अक्षत को…
“आज

आप आगे बढ़ो या ना बढ़ो, ज़िन्दगी है कि आगे बढ़ती रहती है। हमारे अक्षत की ज़िन्दगी भी चल रही थी। धीरे धीरे वह सदमे से उभर रहा था, दोस्तों के साथ भी फिर से घुलने-मिलने लगा था। एक मुहब्बत की बातें उसका मूड खराब कर देती थी। उसने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाये पर फिर कभी वह प्यार नहीं करेगा। और करता भी क्यों!? जब भी तनूजा का ख्याल आ जाता, दिल में एक टीस उठती। एक दिन सब यार-दोस्त इक्ट्ठे बैठे हुये थे। हँसी-मज़ाक का दौर चल रहा था। अक्षत भी हल्का सा कभी कभी मुस्कुरा देता था। किसी ने पूछ ही लिया अक्षत को… “आज