हद-ए-शहर से निकली तो गाँव-गाँव चली कुछ यादें मेरे संग पाँव-पाँव चलीं, सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ वो जिंदगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली। #teli ©Navash2411 #नवश