जिद को मनवाने के लिए दौड़ लगाती आंगन में बैठकर बेइंतेहा रोती हंसते हैं उसकी इस जिद पर सभी लोग जब वो आसमां के चांद को कमरे में बुलाती उसकी इस नादानियों पर हर कोई हंसता दादा की उंगली पकड़कर दौड़ लगाती नहाने की बात पर तो इतना छनछनाती मानो जैसे बिन पायल ही आंगन गूंज जाती उसकी मुस्कान से पूरा दर्द काफूर हो जाता (हंसकर)बेटी है मेरी मुझे बाबा कह कर पुकारती #nojoto #nojotohindi #love #quete