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एक सपना बचपन में देखा था जिसको, कंधे पर सितारे और

एक सपना बचपन में देखा था जिसको,
 कंधे पर सितारे और खाकी वर्दी को ।
जैसे ही देखती हूं आंखों में चमक आ जाती है,
 मेरी चेहरे पर एक अलग ही मुस्कुराहट छाती है।
 अब वक्त आ गया है इसे सच करने का,
सपने को खुली आंखों से परखने का।
 सब कुछ त्याग सकती हूं मैं उसके लिए,
 एक सपना ही तो है अब जीने की उम्मीदों के लिए। OPEN FOR COLLAB

✓challenge by  ias guideline

Ias guideline में आपका स्वागत है🙏 

✨हमेशा रचनात्मक और अधिक लिखने की कोशिश करें
एक सपना बचपन में देखा था जिसको,
 कंधे पर सितारे और खाकी वर्दी को ।
जैसे ही देखती हूं आंखों में चमक आ जाती है,
 मेरी चेहरे पर एक अलग ही मुस्कुराहट छाती है।
 अब वक्त आ गया है इसे सच करने का,
सपने को खुली आंखों से परखने का।
 सब कुछ त्याग सकती हूं मैं उसके लिए,
 एक सपना ही तो है अब जीने की उम्मीदों के लिए। OPEN FOR COLLAB

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