ज़िंदगी के भाग दौड़ में मसरूफ़ इतना हुआ करता की पनीर लाया था शाम को रात को दाल में ही खुश रहता न जाने कैसे बेतरतीब हूँ खुद के लबों पर जुबान नही रहता मैं करने को तो बहुत कुछ सोचूं अब कुछ ध्यान नहीं रहता एक ही तरह की ज़िन्दगी जीते-जीते हम बहुत कुछ भूल सा जाते हैं। #ध्याननहींरहता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #rs_rupendra05