मेरी आँखों को तुम पढ़ सको तो तुम्हे ये समझ आ जाए तेरे बिना हम कितने हैं बेचैन ये पता तुमको लग जाए *तुम्हें जो मेरे गम-ए-दिल से आगाही हो जाए जिगर में फूल खिलें आँख शबनमी हो जाए! अजला भी उस की बुलंदी को छू नहीं सकती वो जिंदगी जिसे एहसास-ए-जिंदगी हो जाए! ~ 'क़ाबिल' अजमेरी