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White मन की बात खुलकर के जहाँ पे कह नहीं सकते, ऐसे

White मन की बात खुलकर के जहाँ पे कह नहीं सकते,
ऐसे हालातों में इंसान कभी खुश रह नहीं सकते।

तेरे नज़दीक आते हैं तो फ़कत रुसवा ही होते हैं,
सितम अपने परायों के और हम सह नहीं सकते।

तंग है सोच जिस घर में वहाँ रहना ना आसां है,
झील में कैसे भी चाहो ये तिनके बह नही सकते।

टूटने की भी सीमा है तुम भी सच जानते हो,
येज़मीं पर आ चुके हैं हम और तो ढह नहीं सकते।

ये सच है दूरियां मधुकर तुम्हें हर पल रूलाती हैं,
हम भी मज़बूर है लेकिन बता वजह नहीं सकते।

©VIKRAM SANJAY
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