होलिका_दहन होलिका हर साल जलाने का अर्थ क्या हुआ सोच से हर इंसान के शैतान तो सामर्थ हुआँ हाथ में मशाल वाले इंसान से पूछतीं हैं होलिका जलाने का प्रयास मुझको हर साल तेरा ब्यर्थ क्यों हुआ शान के ही अग्नि में ख़ुद ही मैं जल गईं अभिमान के और ताप में ख़ुद ही मैं तल गईं देखती हूँ फ़िर वहीं इंसान सब मुझकों जलाते इसलिए इन हाथों से हर बार जलने से रह गईं प्रह्लाद जैसा बन के कोई गोंद में आ जाओ मेरे प्यार की बयार से नहलाओ और बुझाओ मुझें गर्व दर्प हिंसा नफ़रत निकाल दे जो मन से सारे ऐसे कोई अग्नि में बस एक बार ही जलाओ मुझें फ़िर देखना हर साल जलाने की कोई जरूरत नहीं पाक दिल इन्सान में रहने की कोई हसरत नहीं बुराईयाँ मिट जाए ऐ इंसान गर तुझसे सभी तो धरती पर रहने का कहीं घर नहीं चाहत नहीं ।। ©बिमल तिवारी "आत्मबोध" #Happy_holika_dahan