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शर शरव्य तक जाना चाहे, अक्षय है तूणीर तुमुल ध्वनि

शर शरव्य तक जाना चाहे, अक्षय है तूणीर
तुमुल ध्वनि आरंभ हो गई, सजे हुए रणधीर

सांसों में ज्यूँ नूपुर बजते, हृदय धधकती ज्वालायें
रणचण्डी खप्पर ले आई, सजे बाल और बालाएं

स्वर्णिम नभ में सजी पताका, समीर बहाता स्पंदन
पानी में ज्यूँ लहरें बहती, बहते हैं धरती में कंपन

युद्ध यदि है नियति हमारी, तो विजय हमारी मीत
जीवन मरण तो बना रहेगा, हम नहीं हुए भयभीत
- अश्वनी दीक्षित #dixitg #War #life
शर शरव्य तक जाना चाहे, अक्षय है तूणीर
तुमुल ध्वनि आरंभ हो गई, सजे हुए रणधीर

सांसों में ज्यूँ नूपुर बजते, हृदय धधकती ज्वालायें
रणचण्डी खप्पर ले आई, सजे बाल और बालाएं

स्वर्णिम नभ में सजी पताका, समीर बहाता स्पंदन
पानी में ज्यूँ लहरें बहती, बहते हैं धरती में कंपन

युद्ध यदि है नियति हमारी, तो विजय हमारी मीत
जीवन मरण तो बना रहेगा, हम नहीं हुए भयभीत
- अश्वनी दीक्षित #dixitg #War #life