#OpenPoetry "आज किसी का शायद इन्तजार नहीं अपनी#बस्ती में एक शाम गुजारू गा उसके लिए कोई #पैगाम नहीं गर हैं भी तो आज तसब्बुर से फाडू गा " @saurav sachan #sayriwale