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मेरे लाॅकडाऊन की कहानी.... रोज़ सुबह उठते ही,बस सो

मेरे लाॅकडाऊन की कहानी.... रोज़ सुबह उठते ही,बस सोंचती हूँ आज का दिन अच्छा जाए। जब से लाॅकडाऊन शुरु हुआ,कोरोना महाराज का इस पृथ्वी पर अवतरण हुआ तब से जिंदगी जीने में रुचि खत्म सी दिखाई देने लगी। वही रोज़ के कार्य। पहले-पहले अच्छा लगा अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी से आराम मिलने पर। पर अब जिंदगी को मानो विराम ही लग गया हो। पिछले एक महीने से मुंबई में लाॅकडाऊन चल रहा है। घर पर बैठे-बैठे ऊब से गये। न walking पर जा सकते है न get togethers कर सकते है, school तो पिछले वर्ष के मार्च महीने के end से बंद है। parents न तो फीस देते है और न ही online classes के इच्छुक है। बच्चे बैठ कर पढ़ते नही यह बात का excuse देकर कोई पढा़ना चाहता नही। एक Academic year end हो गया। दूसरे Academic year में तो तीसरी लहर third wave की परेशानी है। इस बार तो कतई  ही ना भेजे कोई। यह वर्ष भी हाथों से गया मानो। इस वर्ष भी देवदास की भूमिका निभानी पडे़गी। दुःखी आत्मा बन रहना होगा। पर मैंने भी कुछ सोंच रखा है। घर बैठे ही नये Timepass के तरीको का "invention". सिलाई मशीन "Usha Janome" जो पतिदेव के पीछे पड़कर, 'जिसे काम नही आएगी यूँ ही पडी रहेगी' कहने पर भी जबरदस्ती ली थी और काम न आने पर किसी कोने में छिपाकर रखी थी उसे साफ कर निकाल रखा है। उस पर जो पहले सीखा था वो सब practice कर रही हूँ । cooking मेरे लिए boring task है। मैं खाना खा सकती हूँ शौक से,पर शौक से बना नही सकती । पर भगवान ने मुझे उसी duty पर लगा रखा है। जब जिंदगी में School topper,college subjects topper थी तब लगता ता एक maid रख लूँगी खाना बनाने के लिए । मैं कुछ नही करूँगी सिर्फ नौकरी करूँगी ईमानदारी से,मेहनत से। पर सब कुछ vice versa हो गया। Economic subjects के कुछ laws जैसा। अब तो कोरोना की खबरे भी सुनकर ऐसे लगता है मानो हमें हो जाए तो हम जिंदा भी रहेंगे या नही। अपनी वसीयत की list भी सोंच रखी है । मेरे certificates से भरी file किसी के काम न आने वाली। और कुछ property ज़मीन जायदाद किसी के नाम करने लायक मैंने कुछ कमाया नही। कल क्या होगा पता नही। योगा करना शुरु किया था पर दो घंटे पहले और दो घंटा बाद तक कुछ खा नही सकते इस बात ने हमें हरा दिया। मेरे teenagers बच्चे evening snacks में पास्ता,मैगी,सैंडविचस्  बनाते है और उनकी खुशबू से भूख बढ़ जाती है। अब तो yourquote पर ही लिखती हूँ अपनी पुरानी कला को नया आयाम देती हूँ। कुछ समय stitching करती हूँ,planting करती हूँ । पौधों से थोडी़ सी बात,थोडा़ सा डाँटती भी हूँ। मेरी गिलोय की बेल बहुत नकचढी है। ऊपर उठती है तो रास्ता दिखाऊँ पलटने का तो गुस्सा हो जाती है और बढ़ना बंद कर देती है। उसे अपना रास्ता खुद बनाना होता है। धागे से उसे बाँध मजबूती देती हूँ पर वह जिद्दी है। Hibiscus के सफेद फूलों वाला पौधा तो बौना ही रह गया। वह भी जल्द बडा़ नही हो रहा। काॅफी पिलाया,सब किया।  Take your quality time कह उसे छोड़ दिया। और भी पौधे है जो अच्छे है मेरी बात सुनते है। 
जिंदगी कुछ यूँ गुज़र रही है ,आगे कैसी गुज़रे पता नही।।
#yqbaba #yqdidi
मेरे लाॅकडाऊन की कहानी.... रोज़ सुबह उठते ही,बस सोंचती हूँ आज का दिन अच्छा जाए। जब से लाॅकडाऊन शुरु हुआ,कोरोना महाराज का इस पृथ्वी पर अवतरण हुआ तब से जिंदगी जीने में रुचि खत्म सी दिखाई देने लगी। वही रोज़ के कार्य। पहले-पहले अच्छा लगा अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी से आराम मिलने पर। पर अब जिंदगी को मानो विराम ही लग गया हो। पिछले एक महीने से मुंबई में लाॅकडाऊन चल रहा है। घर पर बैठे-बैठे ऊब से गये। न walking पर जा सकते है न get togethers कर सकते है, school तो पिछले वर्ष के मार्च महीने के end से बंद है। parents न तो फीस देते है और न ही online classes के इच्छुक है। बच्चे बैठ कर पढ़ते नही यह बात का excuse देकर कोई पढा़ना चाहता नही। एक Academic year end हो गया। दूसरे Academic year में तो तीसरी लहर third wave की परेशानी है। इस बार तो कतई  ही ना भेजे कोई। यह वर्ष भी हाथों से गया मानो। इस वर्ष भी देवदास की भूमिका निभानी पडे़गी। दुःखी आत्मा बन रहना होगा। पर मैंने भी कुछ सोंच रखा है। घर बैठे ही नये Timepass के तरीको का "invention". सिलाई मशीन "Usha Janome" जो पतिदेव के पीछे पड़कर, 'जिसे काम नही आएगी यूँ ही पडी रहेगी' कहने पर भी जबरदस्ती ली थी और काम न आने पर किसी कोने में छिपाकर रखी थी उसे साफ कर निकाल रखा है। उस पर जो पहले सीखा था वो सब practice कर रही हूँ । cooking मेरे लिए boring task है। मैं खाना खा सकती हूँ शौक से,पर शौक से बना नही सकती । पर भगवान ने मुझे उसी duty पर लगा रखा है। जब जिंदगी में School topper,college subjects topper थी तब लगता ता एक maid रख लूँगी खाना बनाने के लिए । मैं कुछ नही करूँगी सिर्फ नौकरी करूँगी ईमानदारी से,मेहनत से। पर सब कुछ vice versa हो गया। Economic subjects के कुछ laws जैसा। अब तो कोरोना की खबरे भी सुनकर ऐसे लगता है मानो हमें हो जाए तो हम जिंदा भी रहेंगे या नही। अपनी वसीयत की list भी सोंच रखी है । मेरे certificates से भरी file किसी के काम न आने वाली। और कुछ property ज़मीन जायदाद किसी के नाम करने लायक मैंने कुछ कमाया नही। कल क्या होगा पता नही। योगा करना शुरु किया था पर दो घंटे पहले और दो घंटा बाद तक कुछ खा नही सकते इस बात ने हमें हरा दिया। मेरे teenagers बच्चे evening snacks में पास्ता,मैगी,सैंडविचस्  बनाते है और उनकी खुशबू से भूख बढ़ जाती है। अब तो yourquote पर ही लिखती हूँ अपनी पुरानी कला को नया आयाम देती हूँ। कुछ समय stitching करती हूँ,planting करती हूँ । पौधों से थोडी़ सी बात,थोडा़ सा डाँटती भी हूँ। मेरी गिलोय की बेल बहुत नकचढी है। ऊपर उठती है तो रास्ता दिखाऊँ पलटने का तो गुस्सा हो जाती है और बढ़ना बंद कर देती है। उसे अपना रास्ता खुद बनाना होता है। धागे से उसे बाँध मजबूती देती हूँ पर वह जिद्दी है। Hibiscus के सफेद फूलों वाला पौधा तो बौना ही रह गया। वह भी जल्द बडा़ नही हो रहा। काॅफी पिलाया,सब किया।  Take your quality time कह उसे छोड़ दिया। और भी पौधे है जो अच्छे है मेरी बात सुनते है। 
जिंदगी कुछ यूँ गुज़र रही है ,आगे कैसी गुज़रे पता नही।।
#yqbaba #yqdidi
ashagiri4131

Asha Giri

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