चला जाएगा सावन पर दीवारों की सीलन रुकेगी कुछ वक्त तक ठीक वैसे ही जैसे मैं कभी ठहर गया था तुम्हारे दिल में सर्दियां गुजर दी थी मैंने वहीं वो प्रेम पत्र का कंबल ओढ़कर स्नेह का अलाव तापकर मैं कुछ खिला भी बसंत में फिर गर्मियां शुरू हो गयी तुम्हारा इश्क सूख गया छोड़ कर कुछ निशां मैं झड़ गया पपड़ियों सा.. यूँ तो इस दीवाली तुमने सारी दीवारें रंगा दी मिटाने को मेरा नामों निशां पर सावन फिर लौटेगा और मैं भी.. लेकिन हो सकता है सीलन इस दफा तुम्हारी आँखों में उतरे.. -KaushalAlmora #सीलन #सावन #yqbaba #yqdidi #prem #कविता